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दलित वोट होंगे निर्णायक, बसपा लड़ाई से बाहर, परिणाम ऐसे हो सकते हैं

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच देखा गया, जबकि बसपा की भूमिका लगभग नगण्य रही। दलित वोटों का बंटवारा परिणाम को प्रभावित कर सकता है, जो इन चुनावों का अहम पहलू बना। कई सीटों पर दलित मतदाता महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, और जहां उनका समर्थन अधिक होगा, वहां नतीजे उसी के पक्ष में जा सकते हैं।

कटेहरी उपचुनाव: दलित वोट निर्णायक
कटेहरी में पहले त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद थी, लेकिन मतदान के बाद भाजपा और सपा के बीच ही सीधी टक्कर दिखी। बसपा के पारंपरिक वोटों का प्रभाव संतुलन बिगाड़ सकता है। यदि बसपा अपने वोट बैंक को मजबूत बनाए रखती है, तो सपा के गणित में बदलाव हो सकता है।

कुंदरकी में मुस्लिम वोटों में बिखराव
कुंदरकी उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली, लेकिन भाजपा ने मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई, जो आश्चर्यजनक माना जा रहा है। कई गांवों में मुस्लिम मतदाता अन्य दलों के साथ दिखाई दिए। इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटों का बिखराव भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

सीसामऊ और मीरापुर में कांटे की टक्कर
सीसामऊ में सपा और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है, जबकि मीरापुर में रालोद और सपा के बीच मुख्य मुकाबला है। मीरापुर में मुस्लिम और दलित वोटों के बंटवारे से नतीजे तय होंगे।

फूलपुर और खैर सीट पर भाजपा और सपा की टक्कर
फूलपुर और खैर में भी भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई दिखी, जहां दलित वोटर महत्वपूर्ण होंगे। जिन इलाकों में दलितों का समर्थन अधिक मिलेगा, वहीं नतीजे भाजपा या सपा के पक्ष में जा सकते हैं।

निष्कर्ष
इन उपचुनावों में बसपा का प्रभाव लगभग न के बराबर है, और दलित वोटों के बंटवारे के कारण भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर हो रही है। सभी की नजर दलित और मुस्लिम वोटों पर है, जो चुनावी नतीजों को निर्धारित करेंगे।

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