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किसान आंदोलन : 26 नवंबर से खन्नौरी बॉर्डर पर शुरू होगा आमरण अनशन, प्रदर्शन तेज करेंगे किसान

किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने आगामी 26 नवंबर से आमरण अनशन करने का ऐलान किया है। यह अनशन खन्नौरी बॉर्डर पर आयोजित होगा, जहां किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक उनकी प्रमुख मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

आंदोलन की प्रमुख मांगें:

किसान संगठन एसकेएम और केएमएम ने मांग की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दी जाए और अन्य संबंधित मुद्दों पर सरकार से त्वरित कार्रवाई की जाए। उनके द्वारा उठाई गई अन्य प्रमुख मांगें हैं:

  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना
  • किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन की व्यवस्था
  • बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं
  • पुलिस मामलों को वापस लेना
  • 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिलना
  • भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली
  • 2020-21 में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा

केंद्र सरकार पर आरोप:

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि 18 फरवरी 2024 के बाद से केंद्र ने किसानों से बातचीत नहीं की, जबकि किसानों का प्रदर्शन शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर लगातार जारी है।

आंदोलन की प्रगति:

किसान संगठन एसकेएम और केएमएम पिछले कई महीनों से सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली चलो मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। 13 फरवरी को जब प्रदर्शनकारी किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर रुके हुए थे, तो सुरक्षा बलों ने उनके मार्च को रोक दिया था। अब किसान अपनी मांगों को लेकर फिर से आवाज़ उठा रहे हैं, और इस बार उनका आमरण अनशन उनकी प्रतिबद्धता को और दृढ़ बनाने वाला कदम होगा।

किसान आंदोलन का भविष्य:

किसान संगठन अब अपने संघर्ष को और तेज करने का इरादा रखते हैं, और आमरण अनशन के जरिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। किसानों के साथ-साथ उनके परिवारों के लिए भी मुआवजे और न्याय की मांगें प्रमुख हैं, खासकर उन किसानों के लिए जो पिछले आंदोलन के दौरान जान गंवा चुके हैं।

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