औरंगजेब की कब्र पर विवाद: क्या दोहराया जाएगा बाबरी मस्जिद जैसा इतिहास?
खुल्दाबाद के लोगों की चिंता – सरकार कब्र नहीं, हमारी रोजी-रोटी का हल निकाले……
औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुल्दाबाद में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कुछ संगठनों द्वारा इसे हटाने की मांग के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया है। स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी रोजी-रोटी पर ध्यान दिया जाए, न कि ऐतिहासिक कब्रों पर राजनीति की जाए।
खुल्दाबाद के व्यापारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में पर्यटन से ही हजारों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। अगर इस कब्र को तोड़ा गया या इसके आसपास किसी तरह की पाबंदी लगी, तो इसका सीधा असर उनके रोजगार पर पड़ेगा। कई होटल, गाइड, दुकानें और छोटे व्यवसाय इसी पर निर्भर हैं।
सियासी दलों और हिंदूवादी संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज कर दी है, जबकि कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे ऐतिहासिक धरोहर बताते हुए इसका विरोध किया है। इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार ने कब्र को लेकर सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए थे और पर्यटकों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी थी।
इस पूरे मामले पर इतिहासकारों की राय भी बंटी हुई है। कुछ विशेषज्ञ इसे मुगलकाल की महत्वपूर्ण निशानी बताते हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक रूप से संवेदनशील मुद्दा मानते हैं।
स्थानीय निवासी सरकार से अपील कर रहे हैं कि कब्र विवाद की जगह वे क्षेत्र के विकास और रोजगार बढ़ाने पर ध्यान दें। उनका कहना है कि अगर यहां का पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ, तो हजारों परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे को आगामी चुनावों से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए उछाला जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि किसी भी ऐतिहासिक स्थल के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह विवाद बाबरी मस्जिद की तरह कोई नया मोड़ लेगा, या सरकार बीच का रास्ता निकालकर इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएगी?
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