जींद (हरियाणा): उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र, जो बीरेंद्र सिंह का गढ़ माना जाता है, इस बार जाट वोटों के बंटवारे के चलते कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह के लिए हार का कारण बना। निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में आने से बृजेंद्र सिंह को बड़ा झटका लगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मुकाबला सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच होता, तो बृजेंद्र सिंह भारी अंतर से जीत सकते थे।
भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने बृजेंद्र सिंह के समर्थन में पहली बार लगाया जोर
इस चुनाव में पहली बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने बृजेंद्र सिंह के समर्थन में खुलकर प्रचार किया। इससे पहले भूपेंद्र हुड्डा और बीरेंद्र सिंह राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे थे। लेकिन इस बार, भूपेंद्र हुड्डा ने बीरेंद्र सिंह को अपना भाई कहकर संबोधित किया और उनके बेटे बृजेंद्र के लिए समर्थन मांगा। इसके बावजूद, जाट वोटों का बंटवारा कांग्रेस के लिए हार का कारण बन गया।
निर्दलीय उम्मीदवार बने हार की मुख्य वजह, भाजपा को मिली अप्रत्याशित जीत
उचाना में निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में होने से भाजपा को अप्रत्याशित लाभ मिला। जाट वोटों के बंटवारे का सीधा असर बृजेंद्र सिंह पर पड़ा, जिससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जाट वोटों का विभाजन कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हुआ और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भाजपा की जीत की राह आसान कर दी।
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