अशोक महेश्वरी : ‘रेत समाधि’ से रूबरू कराने वाले प्रकाशक
New Delhi: लेखिका गीतांजलि श्री की किताब ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम आफ सैंड’ को बुकर पुरस्कार दिया गया है। इस पुस्तक को ‘राजकमल प्रकाशन’ ने छापा है। इस प्रकाशन से छपी अनगिनत साहित्यिक कृतियों में यह पहली कृति है, जिसे यह अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है। इस सम्मान को लेकर प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह हम सब भारतीयों, हिंदी साहित्य से जुड़े लोगों का संयुक्त प्रयास का नतीजा है और आज हम सबके लिए गर्व का दिन है। लोग इस किताब को लेकर चर्चा कर रहे हैं। डेजी राकवेल ने ‘रेत समाधि’ का बड़ा ही शानदार अनुवाद किया है, जिसका नतीजा है कि किताब को यह मकाम हासिल हुआ है। इस सम्मान के बाद इस पुस्तक की मांग बढ़ गई है।
नौ अक्तूबर 1957 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे अशोक महेश्वरी ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से एमए (हिंदी साहित्य) की पढ़ाई पूरी की। वे 1974 में प्रकाशन की दुनिया में सक्रिय हुए। 1988 में हिंदी के प्रमुख प्रकाशनों में एक ‘राधाकृष्ण प्रकाशन’ का कार्यभार संभाला। 1994 में हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान ‘राजकमल प्रकाशन’ के प्रबंध निदेशक बने। ‘राजकमल’ और ‘राधाकृष्ण प्रकाशन’ को आगे बढ़ाते हुए 2005 में ‘लोकभारती प्रकाशन’ का भी कार्यभार संभाला। फिलहाल वे हिंदी के तीन प्रमुख साहित्यिक प्रकाशनों के समूह ‘राजकमल प्रकाशन समूह’ के अध्यक्ष हैं।
अशोक महेश्वरी के संस्थान ने 2018 में ‘रेत समाधि’ का पहला संस्करण छापा। तब से ही इसकी चर्चा शुरू हो गई। इसके अंग्रेजी अनुवाद को इस वर्ष का ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज’ दिए जाने की घोषणा 26 मई को की गई थी। राजकमल के द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक, पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद महज पांच दिन में ही 35,000 से अधिक प्रतियां बिक गईं। पाठक जिस उत्साह से ‘रेत समाधि’ को खरीद रहे हैं, वह हिंदी साहित्यिक पुस्तकों की बिक्री के क्षेत्र में इतिहास रचने वाला साबित हो रहा है। अब इसका नौवां संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है।
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