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कौन बनता है बिशप ?

दिल्ली डायसिसज ( धर्म क्षेत्र) के नए बिशप के चुनाव पर विवेक शुक्ला का लेख

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क्या कभी आपने सोचा कि सेंट स्टीफंस कॉलेज, सेंट थामस स्कूल, मंदिर मार्ग, क्वीन मेरी स्कूल, तीस हजारी, सेंट स्टीफंस अस्पताल, कैथडरल चर्च, नार्थ एवेन्यू, फ्री चर्च, संसद मार्ग, दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी और इस तरह के राजधानी के दर्जनों प्रोटेस्टेंट ईसाई समाज से जुड़े धार्मिक, सामाजिक, शिक्षण संस्थानों के मैनेजमेंट

कौन देखता है? इन सबके प्रमुख होते हैं दिल्ली के बिशप। इनका दफ्तर है जयसिंह रोड पर स्थित बिशप हाउस में। दिल्ली डायसिसज ( धर्म क्षेत्र) के बिशप का कल चुनाव होगा। जाहिर है कि इस चुनाव को लेकर प्रोटेस्टेंट ईसाई समाज में दिलचस्पी है। राजधानी में ईसाइयों की कुल आबादी 10 लाख से कम नहीं होगी। इनमें प्रोटेस्टेंट ईसाइयों की जनसंख्या भी खासी है। हालांकि इनका सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। नए बिशप का चुनाव करेंगे वे 20 गणमाय लोग जिन्हें दिल्ली की विभिन्न चर्चों के सदस्यों ने अपना प्रतिनिधि बनाया है। उदाहरण के रूप में सेंट थामस चर्च में प्रार्थना आदि के लिए आने वाले सब ईसाई परिवार अपना एक नुमाइंदा चुनते हैं। नए बिशप का चुनाव तीन सालों के बाद होता है। बिशप 65 साल की उम्र तक काम कर सकता है। उसे एक-दो साल का एक्सटेंशन भी मिल जाता है।

कौन रहे दिल्ली के बिशप

दिल्ली का नया बिशप कौन होगा, ये जानने की जिज्ञासा राजधानी के उन स्कूलों की शिक्षाओं और मुलाजिमों को भी होगा जिन्हें बिशप की सदारत में चलाया जाता है। पूर्व में दिल्ली के बिशप रहने वालों में फादर संत राम, फादर रोबिनसन तथा एरिक जॉन रहे हैं। ये ही सेंट थामस स्कूल, क्वीन मेरी स्कूल तथा सेंट स्टीफंस क़ॉलेज को भी हैं। सेंट थॉमस स्कूल को ब्रिटिश मिशनरी हेलेन जेरवुड ने 1930 में स्थापित किया था। सेंट थॉमस स्कूल में पढ़ने का मतलब है कि आपके व्यक्तित्व का चौमुखी विकास होना तय है। आप विश्वास से लबरेज होंगी। अगर बात क्वीन मेरीज स्कूल की करें तो इसमें वर्तमान में लगभग छह हजार कन्याएं पढ़ती हैं। दिल्ली के किसी भी स्कूल में इतनी छात्राएं नहीं होगी। इसकी स्थापना मिस हेलेन जेरवुड ने की थी। वह इसकी1912 – 1928 के बीच प्रिंसिपल थीं। वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ी थीं। वे भारत में लड़कियों के बीच शिक्षा के प्रसार-प्रचार के लिए आईं थीं। उन्होंने 1912 में स्कूल खोला था। अब क्वीन मेरीज स्कूल में उत्तर दिल्ली, यमुनापार और नई दिल्ली की बेटियां मुख्य रूप से आती हैं। इस बीच, यह बताना जरूरी है कि दिल्ली डायसिसज चर्चेज आफ नार्थ इंडिया (सीएनआई) का हिस्सा है। सीएनआई की स्थापना 1970 के दशक में हुई थी। इस बीच, इस बार के चुनाव में दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी (डीबीएस) के प्रतिनिधि भी मैदान में हैं।

दिल्ली के आसपास भी सक्रिय कौन

दिल्ली कैंट का सेंट मार्टिन गैरिसन चर्च, ट्रींटी चर्च, तुर्कमान गेट और सामाजिक-शिक्षण कार्यों में लगी दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी पर नियंत्रण बिशप का रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि अब दिल्ली बिशप के अंतर्गत आने वाले संस्थान राजधानी के आसपास भी सक्रिय है। उदाहरण के रूप में दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी हरियाणा के सोनीपत में स्कूल खोलने जा रही है। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी को कैम्ब्रिज मिशन भी कहा जाता है। इसकी शुरूआत अगले साल के शिक्षा सत्र से शुरू हो जाएगी। अपने 141 सालों के सफर में दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने सेंट स्टीफंस कॉलेज के अलावा सेंट स्टीफंस अस्पताल भी स्थापित भी किए। इन दोनों ने श्रेष्ठ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।सेंट स्टीफंस स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। दिल्ली में ब्रदरहुड ऑफ दि एसेंनडेंड क्राइस्ट की स्थापना सन 1877 में हुई थी। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी राजधानी में भी अपना स्कूल खोलना का इरादा रखती है।


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